107 साल पहले काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा आज दिल्ली में यूपी सरकार को सौंपी जाएगी। इसके बाद 18 जिलों में ‘पुनर्स्थापना यात्रा’ के जरिए मां अन्नपूर्णा भक्तों के सामने होंगी। 14 नवंबर को काशी में उनकी प्रतिमा पहुंचेगी। मंत्री नीलकंठ तिवारी ने बताया कि देवोत्थान एकादशी यानी 15 नवंबर को नगर भ्रमण के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के ईशान कोण में रानी भवानी उत्तरी गेट के बगल में मां अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।
इन जिलों से होते हुए काशी लाई जाएगी प्रतिमा
गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ और जौनपुर के भक्तों के सामने मां अन्नपूर्णा पहुंचेंगी। तय रूट के मुताबिक पहले दिन का रात्रि विश्राम तीर्थ क्षेत्र सोरो कासगंज में होगा। दूसरे दिन कानपुर और तीसरे दिन अयोध्या में रात्रि में यात्रा रोकी जाएगी। इनके स्वागत के लिए अलग-अलग जिलों के प्रभारी मंत्री और जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।
1 साल पहले प्रतिमा के आने की PM मोदी ने दी थी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को अपने मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी। उन्होंने उस दिन कहा था कि हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है। यह प्रतिमा करीब 107 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई थी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल देव दीपावली के एक दिन पहले मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा वापस मिलने की जानकारी दी थी। अब इस वर्ष देव दीपावली के पहले ही मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा काशी विश्वनाथ धाम में होने जा रही है।
एक हाथ में कटोरा और एक हाथ में है चम्मच
बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। धन-धान्य की देवी और महादेव की नगरी काशी के लोगों को कभी भूखा न सोने देने वाली इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा एक हाथ में खीर का कटोरा और एक हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सदियों पहले काशी में भीषण अकाल पड़ा था। उस दौरान भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान करने के बाद उनसे भिक्षा मांगी थी, तब मां अन्नपूर्णा ने कहा था कि आज के बाद काशी में कोई भूखा नहीं रहेगा।
भारतीय मूल की आर्टिस्ट की 2019 में पड़ी थी नजर
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी के कलेक्शन का हिस्सा थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नॉर्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनवाया गया था। 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा को मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने गैलरी में रखी प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन करना शुरू किया तो उनकी नजर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा पर पड़ी। जब उन्होंने रिकॉर्ड खंगाला तो पता लगा कि वर्ष 1913 में वाराणसी के गंगा किनारे स्थित एक मंदिर से ऐसी ही मूर्ति गायब हुई थी जिसे मैकेंजी आर्ट गैलरी ने हासिल किया था।
आर्टिस्ट की बात पर भारत सरकार ने की पहल
दिव्या मेहरा ने मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ जॉन हैम्प्टन से अन्नपूर्णा प्रतिमा के बारे में बात की। उनसे कहा कि प्रतिमा को भारत को वापस लौटाना चाहिए। मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ समेत अन्य अधिकारियों ने दिव्या मेहरा की बात मान ली। इसका पता ओटावा स्थित इंडियन हाई कमीशन को भी लगा। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने डिपार्टमेंट ऑफ कनेडियन हेरिटेज से संपर्क किया और अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को भारत भेजने की बात कही। कनाडा सरकार ने सहमति दे दी और तब जाकर मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा के भारत आने का रास्ता साफ हुआ।
प्रतिमा कैसे पहुंची कनाडा, बरकरार है राज
मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, इसे लेकर आज भी राज बरकरार है। कुछ लोगों को कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वाले प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिए थे। धर्म-कर्म के क्षेत्र में रुचि रखने वाले काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की ठोस जानकारी नहीं है।
उधर, प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बुधवार को कहा कि जब स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था तब यह प्रतिमा कनाडा पहुंच गई थी। अब यह प्रतिमा भारत वापस लाई गई है। 15 नवंबर को प्रतिमा की पुनः प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।