दिल्ली सरकार अंजान:1068 इकाइयां को बंद करने का आदेश, डीपीसीसी ने प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को सील और बिजली, पानी बंद करने कहा था

By | November 11, 2021

दिल्ली सरकार यमुना को प्रदूषित करने के लिए बार-बार कभी हरियाणा तो कभी ओखला बैराज से आगे उत्तर प्रदेश को जिम्मेदार ठहराती रहती है। 1909 तक पुरी तरह से साफ यमुना दिल्ली में जैसे-आबादी बढ़ती गई।

औद्योगिक इकाई खुलते गए वैसे-वैसे शहरी, घरों और औद्योगिक कचरे के अपशिष्ट का स्तर बढ़ता गया। दिल्ली के 90 प्रतिशत घरों और 58 प्रतिशत औद्योगिक कचरा यमुना में जाने से वजीराबाद से ओखला के 22 किलोमीटर की दूरी में यमुना प्रदूषित होकर अस्तित्वहीन हो गई है।

यमुना को प्रदूषित कर रही है 1068 इकाइयां
सरकार द्वारा ठोस कार्रवाई के आभाव में 1,068 औद्योगिक इकाइयां से निकलने वाले रसायनिक औद्योगिक कचरा धड़ल्ले से यमुना नदी को आज भी प्रदूषित कर रही है। इस बात की पूरी तरह से जांच के बाद यमुना में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बड़ी कार्रवाई के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राजधानी की 1,068 औद्योगिक इकाइयों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश हाल में दिया है। इसके साथ ही डीपीसीसी ने इन सभी इकाइयों का बिजली-पानी काटने का निर्देश भी जारी करते हुए आदेश का पालन न होने पर जल (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 के तहत कार्रवाई करने की हिदायत दी है।

13 औद्योगिक कारखानों को क्षेत्र में सीधे तौर पर जल प्रदूषित करने का दोषी पाया
जानकारी के मुताबिक डीपीसीसी ने दिल्ली के 13 विभिन्न औद्योगिक इलाकों में स्थित इन इकाइयों का निरीक्षण किया तो इन्हें सीधे तौर पर जल प्रदूषित करने का दोषी पाया। डीपीसीसी की टीम निरीक्षण के दौरान पाया इकाइयों में जो कामन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) लगे हुए हैं, वे भी या तो खराब पड़े हैं या ठीक से काम नहीं कर रहे थे। जिन इलाकों में यह इकाइयां चल रही हैं, वहां सामूहिक स्तर पर लगे बड़े सीईटीपी प्लांट भी प्रदूषित जल का ठीक से शोधन नहीं कर पा रहे हैं। नतीजा, इन इकाइयों का प्रदूषित जल नालों के जरिये सीधे यमुना में गिर रहा था।

सीईटीपी संयंत्रों से लिए गए जल के नमूने पाए गए फेल
सीईटीपी संयंत्रों से शोषित जल के नमूने उठाए तो वे सभी डीपीसीसी की लेबोरेट्री में फेल हो गए। कहीं के भी नमूने तय मानकों पर खरे नहीं उतरे। इसके बाद पांच अप्रैल 2021 को इन सभी इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ-साथ पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
बावजूद इसके स्थिति में सुधार नहीं हुआ। अंतत: यमुना मोनेटरिंग कमेटी के अध्यक्ष केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव के निर्देश और एनजीटी के भी सख्त रवैये को देखते हुए डीपीसीसी ने सभी इकाइयां तत्काल प्रभाव से सील करने के आदेश जारी कर दिए है जिसे अभी तक सील नहीं किया गया है।

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